मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
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शङ्करस्य सम्मुखे पाठस्य पाठं कुर्वन्तु।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ
कर shiv chalisa in gujarati lyrics के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।